Monday, June 29, 2015

फलों के राजा आम के घरेलू नुस्खे :-

फलों के राजा आम के घरेलू नुस्खे :-
भारत में आम एक प्रचलित और स्वादिष्ट फल है। देश के सभी स्थानों में इसकी उत्पत्ति होती है।
आम के पेड़ के प्रायः समस्त अंग काम में आते हैं। औषधि प्रयोग में विशेषकर इसकी गुठली ली जाती है।
आम का कच्चा फल स्वाद में खट्टा और पका फल मीठा होता है। यह रूधिर विकार दूर करने वाला तथा फोड़े-फुंसियों का नाश करने वाला है।
हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)
अधिक मात्रा में कच्चे आम का सेवन करने पर वीर्य में पतलापन, मसूढ़ों में कष्ट, तेज बुखार, आंखों का रोग, गले में जलन, पेट में गैस और नाक से खून आना इत्यादि विकार उत्पन्न हो जाते हैं। खाली पेट आम खाना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिए। आम के अधिक सेवन से अपच की शिकायत होती है। रक्त विकार, कब्ज बनती है। अधिक अमचूर खाने से धातु दुर्बल होकर नपुंसकता आ जाती है।
भिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
सूखी खांसी :
पके आम को गर्म राख में भूनकर खाने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है।
नींद न आना :
दूध के साथ पका आम खाने से अच्छी नींद आती है।
भूख न लगना :
आम के रस में सेंधानमक तथा चीनी मिलाकर पीने से भूख बढ़ती है।
खून की कमी :
एक गिलास दूध तथा एक कप आम के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित रूप से सुबह-शाम पीने से लाभ प्राप्त होगा।
300 मिलीलीटर आम का जूस प्रतिदिन पीने से खून की कमी दूर होती है।
दांत व मसूढ़े के लिए :
आम की गुठली की गिरी (गुठली के अंदर का बीज) पीसकर मंजन करने से दांत के रोग तथा मसूढ़ों के रोग दूर हो जाते हैं।
आम के फल की छाल व पत्तों को समभाग पीसकर मुंह में रखने से या कुल्ला करने से दांत व मसूढ़े मजबूत होते हैं।
मिट्टी खाने की आदत :
बच्चों को पानी के साथ आम की गुठली की गिरी का चूर्ण मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाने से ये आदत छूट जाती है और पेट के कीड़े भी मर जाते हैं।
बच्चे को मिट्टी खाने की आदत हो तो आम की गुठली का चूर्ण ताजे पानी से देना लाभदायक है। गुठली को सेंककर सुपारी की तरह खाने से भी मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है।
नाक से खून आना:
रोगी के नाक में आम की गुठली की गिरी का रस एक बूंद टपकाएं।
मकड़ी का जहर :
मकड़ी के जहर पर कच्चे आम के अमचूर को पानी में मिलाकर लगाने से जहर का असर दूर हो जाता है।
गुठली को पीसकर लगाने से अथवा अमचूर को पानी में पीसकर लगाने से छाले मिट जाते हैं।
रक्तस्राव :
आम की गुठली की गिरी का एक चम्मच चूर्ण बवासीर तथा रक्तस्राव होने पर दिन में 3 बार प्रयोग करें।
आग से जलने पर :
आम के पत्तों को जलाकर इसकी राख को जले हुए अंग पर लगायें। इससे जला हुआ अंग ठीक हो जाता है।
गुठली की गिरी को थोड़े पानी के साथ पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लगाने से तुरन्त शांति प्राप्त होती है।
धातु को पुष्ट करने के लिए :
आम के बौर (आम के फूल) को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच दूध के साथ नियमित रूप से लें। इससे धातु की पुष्टि (गाढ़ा) होती है।
हाथ-पैरों की जलन :
हाथ-पैरों पर आम के फूल को रगड़ने पर लाभ पहुंचेगा।
आम की बौर (फल लगने से पहले निकलने वाले फूल) को रगड़ने से हाथों और पैरों की जलन समाप्त हो जाती है।
प्लीहा वृद्धि (तिल्ली के बढ़ने पर) :
15 ग्राम शहद में लगभग 70 मिलीलीटर आम का रस रोजाना 3 हफ्ते तक पीने से तिल्ली की सूजन और घाव में लाभ मिलता है। इस दवा को सेवन करने वाले दिन में खटाई न खायें।
सूखा रोग (रिकेटस):
कच्चे आम के अमचूर को भिगोकर उसमें 2 चम्मच शहद मिला लें। इसे 1 चम्मच दिन में 2 बार लेने से सूखा रोग में आराम मिलता है।
गुर्दे की दुर्बलता :
प्रतिदिन आम खाने से गुर्दे की दुर्बलता दूर हो जाती है।
अजीर्ण :
लगभग 10-15 ग्राम आम की चटनी को अजीर्ण रोग में रोगी को दिन में दो बार खाने को दें।
3-6 ग्राम आम की गुठली का चूर्ण अजीर्ण में दिन में 2 बार दें।
तृष्णा (बार-बार प्यास लगना) :
लगभग 7 से 15 मिलीलीटर आम के ताजे पत्तों का रस या 15 से 30 मिलीलीटर सूखे पत्तों का काढ़ा चीनी के साथ दिन में 3 बार पीयें।
गुठली की गिरी के 50-60 मिलीलीटर काढ़े में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से भयंकर प्यास शांत होती है।
शरीर में जलन:
भुने हुए या उबाले हुए कच्चे आम के गूदे का लेप बनाकर लेप करें।
आम के फल को पानी में उबालकर या भूनकर इसका लेप बना लें और शरीर पर लेप करें इससे जलन में ठंडक मिलती है।
बच्चों के दस्त :
7 से 30 ग्राम आम के बीज की मज्जा तथा बेल के कच्चे फलों की मज्जा का काढ़ा दिन में 3 बार प्रयोग करें।
आम के गुठली की गिरी भून लें। 1-2 ग्राम की मात्रा में चूर्ण कर 1 चम्मच शहद के साथ दिन में 2 बार चटावें। यदि रक्तातिसार (खूनी दस्त) हो तो आम की अन्तरछाल को दही में पीस कर पेट पर लेप करें।
यकृत-प्लीहा का बढ़ना :
10 मिलीलीटर फलों का रस शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से रोग ठीक होता है।
सुन्दर, सिल्की और लंबे बाल
आम की गुठलियों के तेल को लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं तथा काले बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं। इससे बाल झड़ना व रूसी में भी लाभ होता है।
स्वरभंग :
आम के 50 ग्राम पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर चौथाई भाग शेष काढ़े में मधु मिलाकर धीरे-धीरे पीने से स्वरभंग में लाभ होता है।
खांसी और स्वरभंग :
पके हुए बढ़िया आम को आग में भून लें। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चूसने से सूखी खांसी मिटती है।
लीवर की कमजोरी :
लीवर की कमजोरी में (जब पतले दस्त आते हो, भूख न लगती हो) 6 ग्राम आम के छाया में सूखे पत्तों को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें। 125 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर छानकर थोड़ा दूध मिलाकर सुबह पीने से लाभ होता है।
गर्भिणी के आमातिसार :
पुराने आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 5-5 ग्राम को शहद या पानी के साथ भोजन के 2 घंटे पहले दिन में 3 बार सेवन कराने से लाभ होता है। भोजन में नमकीन चावल बिना घी डाले ले सकते हैं।
बालों का झड़ना :
नरम टहनी के पत्तों को पीसकर लगाने से बाल बड़े व काले होते हैं। पत्तों के साथ कच्चे आम के छिलकों को पीसकर तेल मिलाकर धूप में रख दें। इस तेल के लगाने से बालों का झड़ना रुक जाता है व बाल काले हो जाते हैं।
उल्टी-दस्त :
आम के ताजे कोमल 10 पत्ते और 2-3 कालीमिर्च दोनों को पानी में पीसकर गोलियां बना लें। किसी भी दवा से बंद न होने वाले, उल्टी-दस्त इससे बंद हो जाते हैं।
भूख बढ़ना :
आम के फूलों (बौर) का काढ़ा या चूर्ण सेवन करने से अथवा इनके चूर्ण में चौथाई भाग मिश्री मिलाकर सेवन करने से अतिसार, प्रमेह, भूख बढ़ाने में लाभदायक है।
प्रमेह (वीर्य विकार):
आम के फूलों के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम खांड मिलाकर सेवन करने से प्रमेह में बहुत लाभ होता है।
स्त्री के प्रदर में:
कलमी आम के फूलों को घी में भूनकर सेवन करने से प्रदर में बहुत लाभ होता है। इसकी मात्रा 1-4 ग्राम उपयुक्त होती है।
* दुग्ध के साथ आम : इसका सेवन अत्यंत लाभदायक है। यह स्वादिष्ट और रुचिवर्धक होने के साथ-साथ वातपित्त कफनाशक, बलवर्धक, पौष्टिक और रंग को निखारने वाला है |
* आम की गुठली : आम की गुठली के गूदे में बहुत से पौषक तत्व सम्मिलित हैं। आयुर्वेद शास्त्र में इसका खूब उपयोग किया गया है।
* गले के रोग : आम के पत्तों को जलाकर गले के अंदर धूनी देने से गले के अनेक रोग दूर होते हैं।
जी मिचलाना, पेट की जलन : आम की मिंगी के 5 ग्राम चूर्ण को दही के साथ मिलाकर सेवन करने से जी मिचलाना और पेट की जलन दूर होती है।
* बिच्छू, ततैया, मकड़ी का विष : अमचूर को पानी में पीसकर विषैले स्थान पर लगाएं। इससे विष और फफोले में शीघ्र आराम होता है।
* फुंसियां : आम की छाल पानी में घिसकर लगाए

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