Thursday, September 3, 2015

जिन की आंखे कमजोर हैं, जिन्हे नजदीक या दूर का चश्मा लगा हुआ है वह गोरखमुंडी का निम्न प्रयोग करे:-

जिन की आंखे कमजोर हैं, जिन्हे नजदीक या दूर का चश्मा लगा हुआ है वह गोरखमुंडी का निम्न प्रयोग करे:-

* भारतीय वनौषधियों में ‪#‎गोरखमुंडी‬ का विशेष महत्‍व है। सर्दी के मौसम में इसमें फूल और फल लगते हैं। इस पौधे की जड़, फूल और पत्‍ते कई रोगों के लिए फायदेमंद होते हैं।

* गोरखमुण्डी भारत के प्रायः सभी प्रान्तों में पाई जाती है। संस्कृत में इसकी श्रावणी महामुण्डी अरुणा, तपस्विनी तथा नीलकदम्बिका आदि कई नाम हैं। यह अजीर्ण, टीबी, छाती में जलन, पागलपन, अतिसार, वमन, मिर्गी, दमा, पेट में कीड़े, कुष्ठरोग, विष विकार आदि में तो लाभदायक होती ही है, इसे बुद्धिवर्द्धक भी माना जाता है। गोरखमुंडी की गंध बहुत तीखी होती है।

* ये सभी प्रयोग अनेक बार आजमाए हुए व सुरक्षित हैं। किसी को भी कोई हानी नहीं होगी। लाभ किसी को कम व किसी को अधिक हो सकता है परंतु लाभ सभी को होगा। हो सकता है किसी का चश्मा न उतरे परंतु चश्मे का नंबर जरूर कम होगा। प्रयोग करने से सिर मे दर्द नहीं होगा। बाल दोबारा काले हो जाएगे। बाल झड़ने रूक जाएगे। गोरखमुंडी एक एसी औषधि है जो आंखो को जरूर शक्ति देती है। अनेक बार अनुभव किया है। आयुर्वेद मे गोरखमुंडी को रसायन कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार रसायन का अर्थ है वह औषधि जो शरीर को जवान बनाए रखे।

* गोरखमुंडी का पौधा यदि यह कहीं मिल जाए तो इसे जड़ सहित उखाड़ ले। इसकी जड़ का चूर्ण बना कर आधा आधा चम्मच सुबह शाम दूध के साथ प्रयोग करे । बाकी के पौधे का पानी मिलाकर रस निकाल ले। इस रस से 25% अर्थात एक चौथाई घी लेकर पका ले। इतना पकाए कि केवल घी रह जाए। यह भी आंखो के लिए बहुत गुणकारी है।

* बाजार मे साबुत पौधा या जड़ नहीं मिलती। केवल इसका फल मिलता है। तब आप इस प्रकार प्रयोग करे ..100 ग्राम गोरखमुंडी लाकर पीस ले। बहुत आसानी से पीस जाती है। इसमे 50 ग्राम गुड मिला ले। कुछ बूंद पानी मिलाकर मटर के आकार की गोली बना ले। इसे भी ले सकते है .

* जो अधिक गुणकारी बनाना चाहे तो ऐसे करे यह काम लौहे कि कड़ाही मे करना चाहिए । न मिले तो पीतल की ले। यदि वह भी न मिले तो एल्योमीनियम कि ले। 300 ग्राम गोरखमुंडी ले आए।लाकर पीस ले । 100 ग्राम छन कर रख ले। बाकी बची 200 ग्राम गोरखमुंडी को 500 ग्राम पानी मे उबाले। जब पानी लगभग 300 ग्राम बचे तब छान ले। साथ मे ठंडी होने पर दबा कर निचोड़ ले। इस पानी को मोटे तले कि कड़ाही मे डाले। उसमे 100 ग्राम गुड कूट कर मिलाकर धीमा धीमा पकाए। जब शहद के समान गाढ़ा हो जाए तब आग बंद कर दे। जब ठंडा जो जाए तो देखे कि काफी गाढ़ा हो गया है। यदि कम गाढ़ा हो तो थोड़ा सा और पका ले। फिर ठंडा होने पर इसमे 100 ग्राम बारीक पीसी हुई गोरखमुंडी डाल कर मिला ले। अब 50 ग्राम चीनी/मिश्री मे 10 ग्राम छोटी इलायची मिलाकर पीस ले। छान ले। हाथ को जरा सा देशी घी लगा कर मटर के आकार कि गोली बना ले। गोली बना कर चीनी इलायची वाले पाउडर मे डाल दे ताकि गोली सुगंधित हो जाए। 3 दिन छाया मे सुखाकर प्रयोग करे। इलायची केवल खुशबू के लिए है।

प्रयोग विधि :-
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* 1-1 गोली 2 समय गरम दूध से हल्के गरम पानी से दिन मे 2 बार ले। सर्दी आने पर 2-2 गोली ले सकते हैं। इसका चमत्कार आप प्रयोग करके ही अनुभव कर सकते हैं। आंखे तो ठीक होंगी है रात दिन परिश्रम करके भी थकावट महसूस नहीं होगी। कील, मुहाँसे, फुंसी, गुर्दे के रोग सिर के रोग सभी मे लाभ करेगी। जिनहे पेशाब कम आता है या शरीर के किसी हिस्से से खून गिरता है तो ठंडे पानी से दे। इतनी सुरक्षित है कि गर्भवती को भी दे सकते हैं। ध्यान रहे 2-4 दिन मे कोई लाभ नहीं होगा। लंबे समय तक ले । गोली को अच्छी तरह सूखा ले। अन्यथा अंदर से फफूंद लग जाएगी।

* ये पाचन शक्ति बढ़ाती है इसलिए भोजन समय पर खाए। चाय पी कर भूख खत्म न करे। चाय पीने से यह दवाई लाभ के स्थान पर हानि करेगी।


एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।

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आंखों के सामने मक्खियां उड़ने का आभास होना, काले धब्बे प्रतीत होना, प्रकाश के चारों ओर रंग बिरंगे तारे के समान दिखाई देना तथा आंखों में अंधापन :
आंखों के रोग होने के विभिन्न कारण होते हैं जैसे- अधिक गर्म खाद्य-पदार्थों का सेवन, नशीले पदार्थ, धूल के कण, अधिक सोचना, कम्यूटर या टी.बी. पर अधिक समय आंखे टिकाए रहना, अधिक समय तक सेक्स सम्बंधी बातों में लिप्त रहना, मधुमेह या मूत्र रोगों के कारण पुरानी कब्ज का होना, पूरी नींद न लेना तथा भोजन में पोषक तत्वों और विटामिन `ए´ की कमी होना आदि। आंखों की कुछ बीमारियां अनुवांशिक होती हैं।
मोतियाबिंद पक जाने के बाद आंखों का आपरेशन करना अनिवार्य हो जाता है। मोतियाबिंद का आप्रेशन करवाने के बाद आंखों में लालिमा आ जाती है। यदि आंखों की लालिमा दूर न हो रही हो तो सूर्य द्वारा गर्म किये हुए कांच के हरे रंग की बोतल के जल से आंखों को धोना चाहिए। इससे आंखों की लाली दूर हो जाती है।
आंखों के चश्मे से छुटकारा पाने के लिए सूर्य प्रकाश और रंग चिकित्सा के माध्यम से हरे रंग की कांच के बोतल में जल को भरकर उसे सूर्य के प्रकाश में रखकर उसमें औषधीय गुण लाते हैं। इसके बाद इस पानी से दिन में तीन-चार बार नियमानुसार आंखों को धोने से तथा हरे रंग के सैलोफिन कागज की 15-16 परत बनाकर आंखों को खोलकर सूर्य की रोशनी में सुबह-शाम दोनों समय आंखों में डालने से आंखों की रोशनी तेज होती है। इस क्रिया को लगातार कम से कम तीन महीने या उससे अधिक समय तक धैर्यपूर्वक करते रहने से निकट दृष्टि दोष ठीक हो जाता है और वर्षों से लगा हुआ चश्मा उतारा जा सकता है। इसे ठीक होने में इस बात का विशेष महत्व होता है कि चश्मे का नम्बर कितना है? आंखों के रोगी का भोजन कैसा है? रोगी पूरी नींद सोता है अथवा नहीं? रोगी किसी बात को सोच-सोचकर परेशान नहीं होता हैं? इन बातों के निगेटिव होने पर भी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि नियम और ध्यानपूर्वक उपचार करने से आंखों के सभी प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं।

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