Friday, July 31, 2015

अदरक :


अदरक : इस मौसम का दोस्त ~ ~ताजे अदरक को पीसकर कप़ड़े में डाल लें और निचोड़कर रस निकालकर रोगी को पीने को दें। अदरक का काढ़ा चूर्ण बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है। काढ़ा बनाने के लिए सूखे अदरक का चूर्ण बनाकर 15 ग्राम (लगभग तीन चाय के चम्मच) एक प्याला पानी में मिलाकर उबालें। जब पानी एक-चौथाई रह जाए तो इसे छानकर रोगी को पिला दें। चूर्ण बनाने के लिए सौंठ की ऊपर की परत को छीलकर फेंक दें और शेष भाग को पीसकर चूर्ण बना लें। इसको यदि छान लिया जाए तो चूर्ण में रेशे अलग हो जाते हैं। उन्हें फेंक दें। यह चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोगी को खाने के लिए दिया जाता है। लेप बनाते या पीसते समय अदरक के साथ थोड़ा पानी मिला लें। ताजे अदरक को पीसकर दर्द वाले जोड़ों पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें। इससे उस जोड़ की सूजन दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है। लेप को यदि गर्म करके लगाया जाए तो इसका असर जल्दी होता है। अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो गया हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिलाएँ। यह प्रक्रिया करीबन 15 दिनों तक अपनाएँ। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा। तुरंत आराम होगा।~अदरक : सर्दियों का साथी ~भोजन से पहले अदरक को चिप्स की तरह बारीक कतर लें। इन चिप्स पर पिसा काला नकम बुरक कर खूब चबा-चबाकर खा लें फिर भोजन करें। इससे अपच दूर होती है, पेट हलका रहता है और भूख खुलती है।अदरक का एक छोटा टुकड़ा छीले बिना (छिलकेसहित) आग में गर्म करके छिलका उतार दें। इसे मुँह में रख कर आहिस्ता-आहिस्ता चबाते चूसते रहने से अन्दर जमा और रुका हुआ बलगम निकल जाता है और सर्दी-खाँसी ठीक हो जाती है। सौंठ को पानी के साथ घिसकर इसके लेप में थोड़ा सा पुराना गुड़ और 5-6 बूँद घी मिलाकर थोड़ा गर्म कर लें। बच्चे को लगने वाले दस्त इससे ठीक हो जाते हैं। ज्यादा दस्त लग रहें हों तो इसमें जायफल घिसकर मिला लें। अदरक का टुकड़ा छिलका हटाकर मुँह में रखकर चबाते-चूसते रहें तो लगातार चलने वाली हिचकी बन्द हो जाती है। ~तीखे चटपटे स्वाद से बनी एक अहम घरेलू औषधि नम रहने तक अदरक तथा सूखने पर यह सौंठ बन जाती है। इसे बलवर्धक भी कहा गया है। यह शक्ति और स्फूर्ति का अनमोल खजाना है। पूरे विश्व में इसे प्रयोग में लाया जाता है। ठंड के मौसम में चाय, चटनी भोजन में इसका उपयोग बहुतायत में होता है। यह वायु, वात, कफनाशक, स्मरण शक्ति तथा सौंदर्य को निखारने में भी उपयोगी है। सर्दियों में इसका उपयोग गले की जकड़न से बचाता है। साधारण बुखार में इसका काढ़ा पीना लाभकारी होता है। अदरक का रस नीबु के रस में मिलाकर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है।~अदरक के असरकारी नुस्खे~भूख बढ़ाने के लिए भोजन के पहले अदरक की गाँठ की तीन-चार पतली स्लाइस काट कर उस पर नमक छिड़क कर खाने से खुल कर भूख लगती है। सर्दी-जुकाम या बुखार में अदरक की चाय पीना लाभदायक होता है। दो कप पानी में अदरक की आधी गाँठ कूट कर डाल दें। इसी पानी में 5 तुलसी के पत्ते और दो काली मिर्च भी कूट कर डाल दें। इस पानी को उबालें। जब पानी आधा कप बचे तब एक चम्मच शकर डाल कर उतार लें। रात को सोते समय यह पानी पिएँ। दूसरे दिन बुखार और जुकाम में चमत्कारिक लाभ देखें। इसके बाद ठंडा पानी ना पिएँ। चिकनाई युक्त, पचने में भारी और खटाई वाले पदार्थों का सेवन ना करें। अदरक का सूखा हुआ रूप सौंठ कहलाता है। रात को सोते समय सौंठ डाल कर गरम दूध पिएँ। फायदा होगा। ~अदरक का सूखा रूप सौंठ कहलाता है। चाय में गीला सुखा दोनों प्रकार का अदरक उपयोगी होता है। कब्ज, गैस बनना, वमन, खाँसी, कफ, जुकाम आदि में इसका प्रयोग किया जाता है। अदरक का रस शहद में मिलाकर लेने से क्षय रोग में फायदा होता है। हिचकी चलने पर अदरक का टुकड़ा मुँह में रखकर चूसने से आराम मिलता है। अदरक का ताजा रस पीने से मूत्र संबंधी रोगों का निवारण होता है। अदरक एवं गुड़ मिलाकर मट्ठे के साथ पीने से पीठ कमर दर्द में आराम मिलता है। ¬
गुणों से भरपूर अदरक ~औषधि के रूप में अदरक का प्रयोग गठिया, र्यूमेटिक आर्थराइटिस (आमवात) साइटिका और गर्दन रीढ़ की हड्डियों की बीमारी (सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस) होने पर किया जाता है। जोड़ों की इन बीमारियों के अतिरिक्त भूख लगना, अमीबिक पेचिश, खाँसी, जुकाम, दमा और शरीर में दर्द के साथ बुखार, कब्ज होना, कान में दर्द, उल्टियाँ होना, मोच आना, उदर शूल और मासिक धर्म में अनियमितता होना इन सब रोगों में भी अदरक (सोंठ) को दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ¬


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